वसंत पंचमी शुभ  सरस्वती पूजा मुहूर्त 2020 को 29 जनवरी 10.45 बजे से 12.35 बजे तक बसंत पंचमी तिथि 29 जनवरी 10.45 बजे से 30 जनवरी 13.18 बजे तक

*वसंत पंचमी 2020*
देश और दुनियाभर में आज वसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था जिसकी खुशी में वसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि इस महीने में न तो ज्यादा सर्दी होती और न ही गर्मी। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती के प्रतीक चिन्हों की भी आराधना होती है। आइए जानते हैं वसंत पंचमी का महत्व और सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त...


वसंत पंचमी का महत्व 


- वसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है।
-  वसंत पंचमी पर भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है।
- वसंत पंचमी के पर्व को ऋषि पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी आदि के नाम से भी जाना जाता है।
- वसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतयाः विद्यारंभ ,नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह-प्रवेश के लिए वसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयकर माना गया है। 
- इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगाकर घरों को पीले रंग से सजाते हैं।
- वसंत पंचमी के ही दिन भगवान राम माता सीता की खोज में शबरी नामक भीलनी की कुटिया में पहुंचे थे। जहां पर शबरी ने प्रभु राम के प्रेम में खोकर भगवान राम को झूठे मीठे बैर खिलाए थे। यह स्थान गुजरात के डांग जिले में स्थित हैं। यहां के लोग आज भी उस शिला को बसंत पंचमी के दिन पूजते हैं जहां पर भगवान राम बैठे थे।
- वसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच एक महत्वपूर्ण प्रसंग घटित हुआ था। गोरी ने मृत्युदंड देने से पहले पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। इस अवसर का लाभ उठाकर कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया जो काफी प्रचलित है। कवि चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से कहा था कि-


चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥


अर्थात् चार बांस, चौबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।
चंदबरदाई के संकेत को प्राप्त करते ही पृथ्वीराज चौहान ने बाण चला दिया जो सीधे जाकर गौरी के सीने लगा और उसकी मौत हो गई। यह घटना 1192 ईव को बसंत पंचमी के दिन घटी।


वसंत पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त 2020 
सरस्वती पूजा मुहूर्त - 10:45 से 12:35 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ  (29 जनवरी 2020) - 10:45 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त  (30 जनवरी 2020)  - 13:18 बजे तक


 29 जनवरी 2020:
आज माघ माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। दिन में  10 बजकर 45 मिनट पर पंचमी लग जायेगी। आज बुधवार है तथा चंद्रमा गुरु प्रधान राशि मीन में है। आज भगवान विष्णु जी की उपासना का विशेष फल है। 
प्रातःकाल पंचांग पढ़ना शुभ माना जाता है। 
 नक्षत्र का महत्व बहुत ज्यादा है। सूर्य एक राशि में एक माह रहते हैं। चंद्रमा का गोचर सबसे महत्वपूर्ण है। राशि का निर्धारण चंद्रमा से ही होती है। अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा है। विजय तथा अमृत मुहूर्त भी अच्छे माने जाते हैं। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते। जहां तक हो सके आप किसी भी शुभ यात्रा का आरंभ राहुकाल में मत करें। राहुकाल में किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ नहीं करना चाहिए।सूर्य अभी मकर राशि में ही चल रहे हैं।
-----------बसंत पंचमी विशेष-----  
बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।  मान्यता है की इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती का पूजन होता है। इस रोज़ प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा होती है। धरती प्रेम और मोहब्बल के बल पर ही तो चल रही है। प्राचीन मान्यता के अनुसार बसंत और कामदेव दोनों सखा थे। बसंत पर मौसम बहुत सुहाना होता है। प्रकृति की छटा ही निराली होती है। हर कोई प्रेम के रंग में डूबा होता है क्योंकि ये सिजनल चेंज होता है।यह हिंदी वेलेंटाइन डे भी है। 
वही वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की इस तरह पूजन करना चाहिए।  
शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती को पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए, ये इनके अधिक प्रिय हैं। इन फूलों में अधिकतर जो देवी को अर्पित किए जाने की मान्यता है वो गेंदे तथा सरसों के पुष्पों की है। 
 मां सरस्वती को बूंदी का प्रसाद भी अधिक प्रिय होता है। कहा जाता है बूंदी गुरु ग्रह से संबंधित होती है जो ज्ञान के कारक ग्रह हैं। इन्हें भी पीला रंग अत्यंत प्रिय है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर देवी सरस्वती को बूंदी के लड्डू या बूंदी अर्पित की जाती है तो कुंडली में गुरु की स्थिति अनुकूल होते हैं और ज्ञान प्राप्ति में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
 वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का अधिक महत्व होता है इसलिए देवी सरस्वती को सफ़ेद की बजाए पीले रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए, शुभ माना जाता है। इसके साथ संभव हो तो खुद भी इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
 वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा में पेन और कॉपी ज़रूर शामिल करें। इससे बुध की स्थिति अनुकूल होती है जिसके शुभ प्रभाव से बुद्धि बढ़ती है तथा स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है।
इस दिन देवी सरस्वती को केसर और पीले चंदन का तिलक करें और खुद भी लगाएं।  इससे ज्ञान और धन दोनों ही मामलों में अनुकूलता प्राप्ति होती है ।


*ॐ श्री श्री वैभव लक्ष्मी जी उपासक श्री फक्कड़ बाबा जी महाराज* ।
9897674126


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