लॉक डाउन के बाद कोरोना काल में जीवन कैसा होगा
🙏🙏कोरोना काल जीवन🙏🙏
आप माने या ना माने दुनिया हमेशा के लिए बदल चुकी है, अब जब भी दुनिया नॉर्मल होगी वो एक नया नॉर्मल होगा। अगले 2 साल कम से कम एकदम सामान्य जिंदगी की अपेक्षा करना मुश्किल है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजर और बार-बार हाथ धोना, घर में ज्यादा रहना , ये जिंदगी के नए हिस्से होंगे।
हम आर्थिक चुनौतियों के दौर में हैं। बहुत से लोगों की नौकरी चली गई होगी या जा सकती है। सैलरी कम हो गई होगी या हो सकती है।कुछ लोग अब कभी ऑफिस नहीं जाएंगे, बच्चों की होम स्कूलिंग के बारे में बहुत गंभीरता से सोच लीजिएगा। लॉक डाउन खुलने के बाद भी मॉल, मल्टीप्लेक्स से लोग दूर भागेंगे और बेवजह यात्रा करने से हर कोई बचना चाहेगा । कई लोगों की नौकरियां जाएंगी, रियल एस्टेट टूटेगा, होम स्कूलिंग सामान्य होगा, डायरेक्ट सेल्लिंग करने वाली कंपनियों के लिए ये सबसे बढि़या वक्त आएगा । घर के दाल चावल तेल मसाला , कपड़े, यहाँ तक कि शराब भी होम डिलीवरी होगी बाकी के बारे में सोचना क्या।
रास्ता नज़र नहीं आएगा लेकिन हिम्मत न हारें। कम से कम खर्च करें। अपनी मानसिक परेशानियों को लेकर अकेले न रहें। दोस्तों से बात करें। रिश्तेदारों से बात करें। किसी तरह का बुरा ख़्याल न आने दें। इस स्थिति से कोई नहीं बच सकता। तो धीरे धीरे खुद को पहाड़ काट कर नया रास्ता बनाने के लिए तैयार करें। अपनी भाषा या सोच ख़राब न करें। कुछ भी हो जाए, जीना है, कल के लिए। धीरज रखें। कम में जीना है। यह वक्त आपका इम्तहान लेने आ गया है।
तो कुल मिलाकर खर्चे पर लगाम लगाएं, शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें , सपुरिलिना , अवाला ,नीम, कॉलिस्टरम, सी-बुकथोम , ग्लोकोसमिन कैल्शियम नियमित रूप से सेवन करें । कारोबार को बचाने और बढ़ाने की नई-नई तरकीबें खोजें, सबसे बड़ी बात स्वस्थ और प्रसन्न रहें, उम्मीद का दामन न छोड़ें। मिडिल क्लास हैं तो मदद मांगने में झिझकें ना, हम में से कई लोगों की चमकदार शर्ट के नीचे बनियान में बहुत सारे छेद हैं।
बाकी इस लॉकडाउन के बाद, लॉकडाउन 3.0 के बाद क्या कोरोना वायरस बदल जाएगा, नहीं, इससे हमें सिर्फ कुछ समय की मोहलत मिल रही है। हमें जिंदगियां बचानी भी है और जिंदगियां दोबारा पटरी पर भी लानी है। अब लॉकडाउन खुलेगा, शर्तों के साथ्, फिर कहीं वायरस का फैलाव होगा, बंद होगा और मुझे लगता है ये चलता रहेगा जब तक कि हमें इससे चमत्कारिक ढंग से मुक्ति ना मिल जाए या फिर इसकी दवाई ना बन जाएं।
हमें काफी कुछ जापान जैसे लड़ना होगा, जहां कभी एटमी हमला होता है, कभी ६ रिक्टर स्केल का भूकंप आता है। तबाही रुप बदल-बदल कर आती है मगर वे हार नहीं मानते और पूर्ण अनुशासित होकर वापिस संघर्ष करते हैं। हालांकि, जापान जैसे बेहद अनुशासित देश और भारत जैसे घोर अनुशासनहीन देश की आपस में कोई तुलना नहीं हो सकती लेकिन रास्ता यहीं है, आप मानें या ना मानें।
मुझे लगता है कि आजादी के बाद जो राष्ट्र निर्माण का मौका हमने गंवा दिया था, अब हमें ये दोबारा मिला है। आइए, चलता है वाला एटीट्यूड छोड़कर सावधानी और अनुशासन से जीते हैं।
*दोस्तों, लड़ना है, हारना नहीं है *
🙏🙏सकारात्मक रहे, 🙏🙏
गोर्खा इंटरनेशनल
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