गोरखा----- एक वीर योद्धा
गोरखा से अभिप्राय गुरु गोरखनाथ जी और उनके नाथ सम्प्रदाय से ही हैं, गुरु गोरखनाथ जी चूंकि नेपाल में ही अवतरित हुए थे और उन्होंने ही लगभग 8वी सदी में गोरक्षा,गोरक्षक कालान्तर में गोरखा नाम की उत्पत्ति हुई ऐसा ही इतिहास में वर्णित है।
अपनी बेमिसाल वीरता,भोलेपन की छवि एवं देश पर जानिशार होने वाले गोरखा समुदाय किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
*कायर होने से मरना बेहतर* जैसे विचारों में पलने वाले, राष्ट्र रक्षा में सदैव अग्रणी, नागरिक दायित्व सहित सरहदों की सुरक्षा के लिए गोरखा हमेशा अडिग एवं सबसे आगे रहने वाले प्रथम पंक्ति में सदैव तत्पर रहा है।
वीर गोरखा ने देश की सेवा के लिए अपने स्तर पर लगभग हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया है।
राष्ट्र सेवा में अहम योगदान देने में गोरखा समुदाय में तो अनेकों हीरे हैं पर इनमें से कुछ बेहद अहम हीरे हैं।उनमें से परमवीर चक्र विजेता धन सिंह थापा, प्रथम स्वतंत्रता सेनानी शहीद मेजर दुर्गा मल्ल, राष्ट्रीय गीत के रचयिता कैप्टन रामसिंह ठाकुर, मास्टर मित्रसेन थापा सहीत अनेकों अनेक गोरखा वीर है जिन्होंने देश सेवा में खुद को न्योछावर कर गोरखा कौम के गौरव एवं मान को बढ़ाया है। आजादी के विभिन्न मोर्चों में भी गोरखा समाज का अतुलनीय भागीदारी रही है , दांडी यात्रा में गोरखा वीरों ने गांधी जी के साथ अपना अभूतपूर्व योगदान दिया जिसमें दल बहादुर गिरी, महादेवी गिरी, होशियार सिंह, खरग बहादुर आदि का नाम भी सर्वप्रथम हैं।
विश्व में सबसे बड़े वीर सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से विभूषित एकमात्र गोरखा सदैव भरोसे, विश्वास एवं स्वाभिमान का पर्याय यूं ही नहीं है।
गोरखाओ का नाम केवल मात्र देश की सुरक्षा में ही सीमित नहीं है वरन् हिन्दुस्तान देश के आजादी के बाद संविधान के मौसादा तैयार करने के समय भी गोरखाओ की अग्रणी भूमिका रही है एडवोकेट अरि बहादुर गुरुंग एवं डम्मर बहादुर भी देश के इस संविधान निर्माता टीम के हस्ताक्षर रहें हैं।
गोरखाओ ने देश सेवा की असाधारण उदाहरण प्रस्तुत किया है प्रथम फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने कहा है कि *जो ये कहता है कि मुझे मृत्यु का भय नहीं है या तो वह झूठ बोल रहा है या वो गोरखा होगा* ये कथन गोरखाओ के असीम देशप्रेम एवं देश के प्रति त्याग का धोतक है।
आजादी के पूर्व से वर्तमान तक देश के प्रति गोरखाओ के अतुलनीय बलिदान के ऐसे बहुत से यथार्थ उदाहरण है जो ये है साबित करते हैं कि भारतीय गोरखा ही सबसे अधिक विश्वसनीय कौम है।
*मिटा दिया है वजूद उनका जो गोरखाओ से भिड़ा हैं*।
*देश के रक्षा का संकल्प लिये हर गोरखा खड़ा है*।
सादर।
विमल सिंह राणा
( गोरखा हित चिंतक एवं पूर्व महासचिव भारतीय गोरखा परिसध राज्य उप्र)
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