पूर्व निदेशक होम्योपैथी डॉ राजेंद्र सिंह ने भी अब बाबा रामदेव के बाद कहा कि आयुष पद्धति पर देते ध्यान तो नही होती इतनी मौतेंं
पूर्व निदेशक होम्योपैथी डॉ राजेंद्र सिंह ने भी अब बाबा रामदेव के बाद कहा कि आयुष पद्धति पर देते ध्यान तो नही होती इतनी मौतेंं
उन्होंने बताया की समस्त जनता को तो डॉक्टर हषर्वर्धन जी स्वास्थ्य मन्त्री जी एलोपैथी भारत सरकार ने कोवड19 के प्रोटोकॉल लागू कर आयुष चिकित्सा पद्धतियो को चिकित्सा से बहार कर दिया । एक्ट लागू कर दिया अब जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य विभाग की ही है।सरकार अरबों रुपये एलोपैथी पर खर्च कर रही हैं फिर भी लोग मर रहे है। क्या यह जनता के टैक्स का पैसा नहीं है , तो सवाल तो उठेंगे ही अगर सरकार होम्योपैथी एवं आर्युवैदिक, आयुष चिकित्सा पद्धतियों पर स्वास्थ्य के टोटल बजट का 50 % खर्च करते और रिसर्च कराती तो शायद लोग ईतने न मरते । रामदेव बाबा जी का भी यही कहना है । स्वास्थ्य के नाम पर क्या हो रहा हैं। ये सब जानते है।
उन्होंने आगे बताया कि ये वैक्सीन एलोपैथी के सिद्धांतों पर आधारित नहीं है क्योंकि मात्रा बड़ाने से पावर बड़ती है होम्योपैथी मे नोजोड़ से मात्रा को करते है। तो पावर बड़ती है। यह वैक्सीन भी होम्योपैथी के सिद्धांत पर आधारित हैं। डॉक्टर के के अग्रवाल हार्ट सर्जन ने भी अपनी कविड से मृत्यु होने से पहले कहा था रिसर्च करने के लिए स्वास्थ्य की नीतियां नियन्ताओ को इस पर बिचार करना चाहिए।
ये कोई बाबा जी के सवालों के जवाब है क्या सवाल एलोपैथी सिसटम,देश विदेशी फार्मैसियो, फार्मा कमपनियो के रैकेट्स भ्रष्टाचार, एलोपैथी औषधियो द्वारा कोवड व अन्य बिमारियो पर काम या बेअसर होने पर सवाल उठाए है। आज एक बिमारी ठीक नहीं होती दूसरी पैदा हो जाती हैं। इसलिए स्वास्थ्य के सम्बंध मे जनता के हित मे पुनः विचार करते हुए होम्योपैथी एवं आयुर्वेद, आयुष चिकित्सा पद्धतियो को भी बराबर की भागीदारी का कार्य करने का मोका दिया जाये और सभी चिकित्सा पद्धतियों मे रिसर्च कराना सुनिश्चित करे ।किसी भी चिकित्सा पद्धतियों भे समाजिक, सरकारी स्तर पर भी किसी भी प्रकार का भेद भाव न हो
डा राजेन्द्र सिंह
पूर्व होम्योपैथी निदेशक उत्तराखंड
देहरादून
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