चुनाव आयोग ने चुनाव तारीख एलान । कैसे करना होगा अब चुनाव प्रचार?
*10 मार्च को पांचों राज्यों की मतगणना- चुनाव आयोग*
#AssemblyElections2022
1st phase: 10 Feb (UP)
2nd phase: 14 Feb (UP, Uttarakhand, Punjab, Goa)
3rd phase: 20 Feb (UP)
4th phase: 23 Feb (UP)
5th phase : 27 Feb (UP, Manipur)
6th phase: 3 March (UP, Manipur)
7th phase: 7 March (UP)
Counting : 10 March
पहला चरणः 10 फरवरी 2022
उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर चुनाव होंगे.
जिलेः शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज.
दूसरा चरणः 14 फरवरी 2022
दूसरे चरण में 11 जिलों के 67 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे.
जिलेः सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत, खेरी, शाहजहांपुर और बदायूं.
तीसरा चरणः 20 फरवरी 2022
12 जिलों के 69 विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे चरण के दौरान चुनाव होंगे.
जिलेः फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर.
चौथा चरणः 23 फरवरी 2022
12 जिलों के 53 विधानसभा क्षेत्रों में चौथे चरण के दौरान चुनाव होंगे.
जिलेः प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, रायबरेली और चित्रकूट.
पांचवां चरणः 27 फरवरी 2022
52 विधानसभा क्षेत्रों में पांचवे चरण के दौरान 11 जिलों में चुनाव होंगे.
जिलेः बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, अमेठी और सुल्तानपुर.
छठा चरणः 03 मार्च 2022
सात जिलों की 49 विधानसभा क्षेत्रों में पांचवे चरण के दौरान मतदान संपन्न होंगे.
जिलेः महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया.
सातवां चरणः 07 मार्च 2022
7 जिलों की 40 विधानसभा क्षेत्रों में पांचवे चरण में चुनाव होंगे.
जिलेः गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्रा और जौनपुर.
चुनाव परिणामः सभी पांच राज्यों के चुनाव नतीजे 10 मार्च 2022 को आएंगे.
Dehradun: उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही राज्य चुनाव आयोग भी हरकत में आ गए हैं। इसी क्रम में उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने आदेश जारी किए हैं कि अगले 24 घंटों के अंदर राज्य भर में सार्वजनिक संपत्तियों या सरकारी स्थलों पर लगे पोस्टर ओं बैनर या होर्डिंग को तत्काल प्रभाव से हटा लिया जाए अन्यथा संबंधित तो के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन एवं जिला पुलिस इस दिशा में एक्शन में नजर आने लगी है।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड प्रताप सिंह शाह द्वारा निर्देश के क्रम में यह कहा गया था कि चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के 24 घंटे के अंदर सरकारी संपत्तियां जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, एयरपोर्ट, रेलवे ब्रिज, रोडवेज, सरकारी बस, विद्युत टेलीफोन पोल, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत आदि सभी जगहों से राजनीतिक प्रचार सामग्री और पोस्टर पंपलेट बैनर झंडे हार्डिंग वॉल पेंटिंग और कट आउट तत्काल हटाए जाएं जिसको लेकर व्यापक रूप से अभियान भी शुरू हो गया है।
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने विधानसभा प्रत्याशी के लिए खर्च सीमा अट्ठाईस लाख रुपए से बढ़ा कर चालीस लाख रुपए कर दी है!
चुनाव प्रचार सामग्री के रूप में आकर्षक पोस्टर बड़े बड़े बैनर होर्डिंग आसमान छूते कट आउट और संचार माध्यमों में महंगे विज्ञापन पर अकूत पैसा खर्च की बन गई परंपरा..!
चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाने व मतदाताओं को लुभाने के लिए महंगे उपहार देने की परंपरा धड़ल्ले से चलती..!
चुनाव धीरे धीरे धनबल और बाहुबल के आधार पर लड़े और जीते जाने लगे..!!
हर चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग चुनाव खर्च का अनुमान भी लगाता है! उसी के अनुसार खर्च सीमा तय करता है पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने विधानसभा प्रत्याशी के लिए खर्च सीमा अट्ठाईस लाख रुपए से बढ़ा कर चालीस लाख रुपए कर दी है! इसी तरह लोकसभा के लिए पंचानबे लाख रुपए तय किया गया है नियम के मुताबिक कोई भी प्रत्याशी तय सीमा से अधिक पैसा चुनाव पर खर्च नहीं कर सकता इसके लिए प्रत्याशियों को बाकायदा अपने खर्च का प्रमाण भी जमा कराना पड़ता है उसके जमा कराए प्रमाण और खर्च संबंधी दावों की जांच भी की जाती है अगर निर्वाचन आयोग को लगता है कि कोई प्रत्याशी तय सीमा से अधिक खर्च कर रहा है तो उसे नोटिस भी जारी करता है मगर हकीकत यह भी है कि अब तक इसके लिए किसी को दंडित नहीं किया गया है! फिर यह भी छिपी बात नहीं कि गिने चुने ऐसे प्रत्याशी होंगे जो निर्वाचन आयोग द्वारा तय सीमा में धन खर्च करते हैं! ये वही लोग होते हैं जिनके पास पैसे नहीं होते वरना आजकल ग्राम पंचायत जैसे मामूली चुनावों में भी कई प्रत्याशी चालीस लाख से अधिक रुपए खर्च कर देते हैं!
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव धीरे धीरे धनबल और बाहुबल के आधार पर लड़े और जीते जाने लगे हैं!इस तरह इन चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाने लगा है! मतदाताओं को लुभाने के लिए महंगे उपहार देने की परंपरा धड़ल्ले से चल निकली है! नगदी बांटने का भी खूब चलन है! हर चुनाव में निर्वाचन आयोग बड़े पैमाने पर नगदी, शराब, महंगे उपहार आदि की जब्ती करता है!
इसके अलावा प्रचार सामग्री के रूप में आकर्षक पोस्टर बड़े बड़े बैनर होर्डिंग आसमान छूते कट आउट और संचार माध्यमों में महंगे विज्ञापन पर अकूत पैसा खर्च किया जाता है!अब तो अपने पक्ष में खबरें छापने या बनी बनाई खबरें छापने के लिए पैसे देने का चलन भी सुनने को मिलता रहता है!
ऐसे में निर्वाचन आयोग की तय सीमा के बावजूद प्रत्याशी चुनाव में कितना पैसा खर्च करता होगा इसका ठीक ठीक अंदाजा लगाना मुश्किल बना रहता है! दरअसल निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के लिए तो खर्च सीमा तय कर रखी है पर पार्टियों के लिए कोई सीमा तय नहीं की है! इसकी आड़ लेकर प्रत्याशी अपना बहुत सारा खर्च पार्टी के हिस्से में दिखा देते हैं यह भी छिपी बात नहीं कि जो राजनीतिक दल चंदे के मामले में जितना संपन्न है उसका प्रत्याशी अपने चुनाव में उतना ही अधिक पैसे खर्च करता है!
चुनावों में गैरकानूनी ढंग से जमा किए गए पैसे को जायज बनाने का धंधा भी बड़े पैमाने पर होता है इसलिए तमाम विशेषज्ञ लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि निर्वाचन आयोग को प्रत्याशी और पार्टियों के चुनाव खर्च पर अंकुश लगाने का कोई व्यावहारिक उपाय किया जाना चाहिए!मगर अब तक इस दिशा में कोई व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत किसी ने नहीं समझी है!
*कृपया ध्यान दें*
*निर्वाचन आयोग की अधिसूचना जारी होने के पश्चात आदर्श आचार संहिता के दृष्टिगत कोई ऐसी पोस्ट या सामग्री जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करती हो, ग्रुप में न डालें। धन्यवाद।*
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