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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर क्रांतिकारी खड़क बहादुर सिंह बिष्ट

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टाउन हाल ,नगर निगम ,देहरादून मा उत्तराखण्ड नाट्‌य संस्‍थान एवं संस्कृति विभाग ,उत्तराखण्ड को संयुक्‍त तत्वावधान मा " दांडी से खाराखेत देहरादून" नाट्‌य मंचनमा हाम्रॊ सम्प्रदाय को विभुति क्रांतिकारी  स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री खड़क बहादुर सिंह ज्‍यू को नमक सत्याग्रह अनि वहाँ को जीवनी को नाट्‌य मंचन भयो । हामी कृतज्ञ छौं आयोजक समिति प्रति ।। यस अवसरमा गोर्खाली सुधार सभा अध्‍यक्ष श्री पदमसिंह थापा ज्यू र भारतीय गोर्खा परिसंघ प्रदेश अध्यक्ष कर्नल जीवन कुमार छेत्री ज्यू अति विशिष्ट अतिथि अनि गणमान्य व्यक्तियों हरू सबैले हाम्रॊ समाज को उपस्थिति दियेरवीर क्रांतिकारी को ऐतिहासिक सटीक मंचन देख्‍यौं । जय गोर्खा

देहरादून नालापानी बलभद्र ने कैसे लड़ा अंग्रेजों से खलंगा में

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https://youtu.be/IYtQzUivZWw https://youtu.be/LpnWeZVFbh0 दिनांक 24 नवम्‍बर 2019  बलभद्र खलंगा विकास समिति  द्‍वारा आयोजित भव्‍य ऐतिहासिक  "45वाँ खलंगा मेला -2019 " सागरताल नालापानी में सम्पन्न हुआ ।यह समिति विगत 44 वर्षों से वीर गोर्खा सेनानायक बलभद्र थापा एवं उनके वीरों तथा वीरांगनाओं  , जिन्‍होंने सन्‌ 1814 में अति शक्तिशाली अंग्रेज़ी फौज के कईं आक्रमणों को विफल कर उन्हें पराजय की धूल चटाई थी  --- उन वीरों की वीरता को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु  प्रतिवर्ष यह मेला आयोजित किया जाता हैं ।   समिति के अध्‍यक्ष कर्नल डी०एस ० खड़का , सचिव जितेंद्र खत्री ,बिनु गुरुंग, भाषा समिति अध्यक्ष बाल कृष्ण बराल, जे पी थापा ,दीपक कार्की, शेरजंग राना, डी एस भंडारी, पूर्णिमा प्रधान, एवं गणमान्य अतिथिगणों ने बलभद्र खलंगा युद्ध स्‍मारक में पुष्‍प चढा़कर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की ।  अध्‍यक्ष जी ने सभी उपस्थित महानुभावो का मेले में आगमन पर हार्दिक स्‍वागत अभिनंदन किया ।  कर्नल भूपेंद्र छेत्री ने आंग्‍ल -गोर्खा युद्ध 1814 का संक्षिप्त इतिहास बतात...

देहरादून नालापानी खलंगा चंद्रयानी मंदिर जहां वीर गोर्खा सेनानायक वीरभद्र और वीर योद्धा एवं वीरांगनाओं ने अंग्रेजों से युद्ध से पहले की थी पूजा

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https://youtu.be/c2kKxMpzaTA शनिवार दिनांक 23 नवम्‍बर  2019 को बलभद्र खलंगा विकास समिति द्वारा आयोजित ऐतिहासिक भव्‍य  " 45वें खलंगा मेला -2019 " के पूर्व दिवस में " चंद्रयानी मंदिर ,नालापानी देहरादून " में यज्ञ -पूजन एवं विशाल भण्‍डारे  का आयोजन प्रतिवर्ष की भाँति किया गया । समिति के अध्‍यक्ष कर्नल डी०एस०खड़का ने अवगत कराया कि  नालापानी पर्वतीय श्रृंखला के सबसे ऊँचे शिखर जिस पर कभी सेनानायक वीर बलभद्र थापा एव उनके वीर सैनिकों का सुदृढ़ "खलंगा किला "आज भी गर्व से मस्‍तक उठाये खडा़ ह । सन्‌ 1814 में गोर्खाली लगभग 600  वीर , वीरांगनाओं योद्धायों ने सेनापति बलभद्र थापा के नेतृत्‍व में अदम्‍य साहस का परिचय देते हुए तीन बार अंग्रेजों के आक्रमण को पूरी मरह विफल कर दिया था । इस युद्ध में सेनानायक बलभद्र थापा के केवल 600 सैनिकों जिनमें वीर, वीरांनाओं एवं बच्‍चों ने भी अपने प्राचीन हथियारों भरवा बंदूक, धनुषबाण ,घुयेत्रो, भाला -बरछी और खुकरी से लगभग 3500 से भी अधिक  अंग्रेजी सेना जो आधुनिक हथियारों एवं गोला बारूद से लैस थी ,  को कईं बार परास्‍त कर लोहे के चने चबव...

24 नोवेम्बर को नालापानी देहरादून में ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध गोर्खा खलंगा मेला

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 दिनांक 21नवम्‍बर को प्रेस वार्ता में बलभद्र खलंगा विकास समिति ,नालापानी ,देहरादून उत्तराखण्ड के अध्‍यक्ष कर्नल डी०एस खड़का जी ने बताया कि प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी सागरताल ,नालापानी देहरादून में ऐतिहासिक भव्‍य  "45वें खलंगा मेला -2019" का आयोजन किया जा रहा है । यह समिति विगत 44वर्षों से सेनानायक बलभद्र थापा तथा उनके गोर्खा वीरों और वीरांगनाओं जिन्‍होनें अक्‍टूबर/नवम्‍बर 1814 में अति शक्तिशाली ब्रिटिश सेना के कईं आक्रमणों को विफल कर दिया था , उनकी वीरता तथा अदम्‍य साहस की याद कर उन्हें प्रतिवर्ष श्रद्धांजलि देने हेतु मेले का आयोजन किया करते है । इस आयोजन का शुभारंभ शनिवार दिनांक 23नवम्‍बर को चंद्रायनी मंदिर नालापानी में हवन ,पूजन,कीर्तन और भण्‍डारे से होगा ।  रविवार दिनांक 24 नवम्‍बर 2019 को प्रात:    10:30 बजे से सागरताल नालापानी में भव्‍य 45वें खलंगा मेले का आयोजन होगा । इस मेले में 1814 में हुए खलंगा युद्ध के इतिहास का वर्णन  , सांस्‍कृतिक कार्य क्रम में विभिन्‍न क्षेत्रों से आये हुए लोकनृत्‍यों की रंगारंग प्रस्‍तुतियाँ, आर्मी बैंड डिस्‍पले , सुप्रस...

कालापानी किसका ?????

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कालापानी को लेकर नेपाल के रवैये से उत्तराखंड का गोर्खा समाज भी खफा है। गोर्खा समाज ने एक स्वर में कहा कि कालापानी हमेशा से ही भारत का हिस्सा है और इसे लेकर नेपाल की ओर किए जा रहे दावे बेबुनियाद हैं। यही नहीं, गोर्खा समाज ने नेपाल को बातचीत से अपनी गलतफहमी दूर करने की नसीहत तक दी। दरअसल, भारत के नए राजनीतिक नक्शे में कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा दर्शाए जाने पर नेपाल ने आपत्ति दर्ज की। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के बयान के बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया। जिस पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के गोर्खा समाज ने भी हैरानी जताई है। नेपाल के साथ देश के रोटी-बेटी के संबंधों का हवाला देते हुए गोर्खा समाज ने इसे महज एक गलतफहमी करार दिया है। बेवजह दिया जा रहा तूल सुरेंद्र गुरुंग (प्रदेश सह संयोजक, भाजपा गोर्खा प्रकोष्ठ)  का कहना है कि कालापानी 203 वर्र्षों से भारत का हिस्सा है। भारत की ओर से यहां कोई कब्जा नहीं किया गया है। मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है। नेपाल को संयम से काम लेना चाहिए और द्विपक्षीय वार्ता से इसे सुलझाना चाहिए। कुछ असामाजिक तत्वों के कारण यह स्थिति उत्पन...

आज है काल भैरव अष्टमी । कैसे करे साधना सभी कष्ट मुक्ति के लिए

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डॉ आचार्य सुशांत राज जी महाराज ने एक इंटरव्यू में गोर्खा इंटरनेशनल के संपादक संजय मल्ल को बताया कि  काल भैरव अष्टमी मंगलवार आज 19 नवंबर को है जो कि तंत्र साधना के लिए अति उत्तम माना जाता है। उनके बताया कि भैरव बाबा भगवान शिव के ही अवतार है और उनकी साधना से भक्तों के कष्ट दूर हो जाता है । मार्गशिर्ष कृष्ण पक्ष अश्टमी को भगवान शिव ने भैरव बाबा के रूप धारण किया था।  डॉ आचार्य सुशांत राज जी महाराज एक उच्च स्तरीय ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता भी है । उनके द्वारा कई उच्च नेताओं व उच्च स्तरीय नेतृत्व को किये गए भविष्य वाणी सच्चे साबित हुए ।   उनके  द्वारा विशेष ध्यान पूजा अर्चना उत्तराखंड इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नव ग्रह शनि मंदिर दांडी गढ़ी कैंट निकट पोस्ट ऑफिस में सदैव किया जाता है ।  आम भक्त भी साधना में अपना योगदान अंशदान कर भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर सकते है ।  आज रात को भैरव बाबा रूपी शिव भगवान की आराधना पूरी रात जागरण भजन कीर्तन आरती व्रत साधना  करके किया जाता है ।  काले कुत्ते को भोजन का भी विशेष महत्व ...

कालापानी भारत का अभिन्न भाग उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुमाऊं के कालापानी को लेकर चल रहे विवाद पर कहा है कि भारत के हिस्से भारत में ही रहेंगे। कालापानी को लेकर नेपाल की जो प्रतिक्रिया आ रही है, वह उसकी संस्कृति से मेल नहीं खाती है। नेपाल, भारत का मित्र राष्ट्र है। उम्मीद है कि यह मसला बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। भारत और नेपाल के बीच इस समय कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है। दरअसल, हाल ही में भारत ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है। इसमें उत्तराखंड के कालापानी और लिपुलेख को भारतीय क्षेत्र में दिखाए जाने पर नेपाल ने एतराज जताया है। वहीं, सोमवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा औली का एक और बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने भारत से कालापानी इलाके से अपनी सेना वापस बुलाने को कहा है। इस संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बयान दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा लगता है कि वहां नकारात्मक तत्व घुस आए हैं। यह बयान नेपाल की संस्कृति और उसके स्वभाव के भी विपरीत है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने किन परिस्थितियों में यह बयान दिया गया है यह पता नहीं, लेकिन भ...